बी एस-सी - एम एस-सी >> बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान
अध्या्य - 3
केन्द्रक तथा क्रोमेटिन संरचना
(Nucleus and Chromatin Structure)
प्रश्न- केन्द्रक की संरचना का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
अथवा
केन्द्रक की प्रकृति, संरचना एवं कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
(i) केन्द्रक झिल्ली,
(ii) केन्द्रिका
(iii) केन्द्रक के कार्य
(iv) केन्द्रक
2. न्यूक्लिओपोर का एक नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर -
केन्द्रक
(Nucleus)
केन्द्रक कोशिका का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है। यह प्रत्येक यूकैरिओटिक कोशिकाओं में पाया जाता है। स्तनधारियों की लाल रक्त कणिकाओं तथा संवहनी पौधों के चालनी नलिकाओं में प्रारम्भ में केन्द्रक पाया जाता है परन्तु पूर्ण विभेदन के पश्चात् इसका लोप हो जाता है। प्रोकैरिओटिक कोशिकाओं में केन्द्रक नहीं पाया जाता है। इन कोशिकाओं में आनुवंशिक पदार्थ या DNA कोशिका द्रव्य में फैला रहता है। केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने सन 1931 में की थी।
केन्द्रक के विभिन्न भाग
आकार एवं प्रकृति
(Shape and Size)
केन्द्रक को उपापचयी केन्द्रक (metabolic nucleus) या विश्रामी केन्द्रक (resting nucleus) कहते हैं। अभिरंजित कोशिका में यह गहरे रंग की गोलाभकाय के समान प्रतीत होता है जो एक निश्चित स्थिति को धारण किये रहता है। इसकी आकृति आन्तरिक पर्यावरण या इसकी सक्रियता की अवस्था के अनुरूप बदलती रहती है। यह गोलाकार, वृत्ताकार, बेलनाकार प्रिज्मीय, शाखित य पालिमय हो सकता है।
केन्द्रक की संरचना
(Structure of Nucleus)
केन्द्रक में निम्नलिखित भाग दिखाई देते हैं-
1. केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Membrane) : केन्द्रक के चारों ओर लाइपोप्रोटीन (lipoprotein) की बनी तथा छिद्रित (perforated) दोहरी इकाई झिल्ली पायी जाती है जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते हैं। इसके प्रत्येक स्तर की मोटाई लगभग 70 À से 80 À तक होती है। इन दोनों स्तरों के बीच 100 से 700 Å चौड़ा अन्तराल पाया जाता है जिसे पेरीन्यूक्लियर अवकाश (perinuclear space) कहते हैं। बाहरी झिल्ली के बहिर्वलन (out folding) से एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की नलिकायें तथा सिस्टर्नी बनती हैं जो परिधि की ओर प्लाज्मा झिल्ली से सम्बन्धित होती हैं।
केन्द्रक झिल्ली में पाये जाने वाले छिद्रों के कारण कोशिका द्रव्य (cytoplasm) तथा केन्द्रक द्रव्य (nucleoplasm) एक-दूसरे से सम्बन्धित रहते हैं। छिद्रों के किनारों पर बाहरी तथा आन्तरिक केन्द्रक झिल्लियाँ आपस में जुड़ी होती हैं। केन्द्रक छिद्र (nuclear pores) वृत्ताकार या अष्टकोणीय (octagonal) होते हैं। प्रत्येक छिद्र में बेलनाकार छल्ला (cylindrical) होता है जिसे एनुलस (annulus) कहते हैं। एनुलस बाहर की ओर कोशिका द्रव्य में तथा अन्दर की ओर केन्द्रक द्रव्य में फैला रहता है।
न्यूक्लिओपोर कॉम्पलेक्स की संरचना
एनुलस में अक्रिस्टलीय (amorphous) मैट्रिक्स पाया जाता है जिसमें आठ बेलनाकार लगभग 150-180 A व्यास की सूक्ष्म नलिकायें या उपइकाइयाँ चक्रीय क्रम में व्यवस्थित होती हैं जो केन्द्रक झिल्ली की सतह पर आठ गोल कणों के रूप में दिखाई देती हैं। इन आठ उपइकाइयों के वलय के केन्द्रक में एक अतिरिक्त गोल कण होता है जिसे केन्द्रीय कण कहते हैं। यह कण परिधीय उपइकाइयों से तन्तुओं जैसी रचनाओं से सम्बन्धित रहता है। केन्द्रक झिल्ली के छिद्र, एनुलस तथा केन्द्रीय कण व तन्तु सभी मिलकर छिद्र कॉम्प्लेक्स (pore complex) का निर्माण करते हैं।
केन्द्रक झिल्ली के कार्य (Functions of Nuclear Membrane) : इसके निम्नलिखित कार्य हैं -
1. यह झिल्ली केन्द्रक के आनुवंशिक पदार्थ क्रोमेटिन को कोशिका द्रव्य व उसके एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम से अलग करता है।
2. न्यूक्लियर छिद्र से दीर्घाणु (macromolecules) केन्द्रक के आर-पार आते जाते हैं।
3. कोशिका द्रव्य के कुछ पदार्थ जैसे मायोफिलामेण्ट, सूक्ष्म नलिकाएँ आदि केन्द्रक झिल्ली की. बाहरी सतह से चिपकते हैं।
4. केन्द्रक का क्रोमेटिन पदार्थ केन्द्रक झिल्ली की भीतरी सतह से जुड़ता है।
5. केन्द्रक झिल्ली से एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम तथा गॉल्जीकाय की झिल्लियों का विकास होता है।
6. केन्द्रक झिल्ली पर एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की सतह पर पाये जाने वाले एन्जाइमों के समान एन्जाइम होते हैं।
2. केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm) : केन्द्रक के अन्दर एक तरल पदार्थ होता है जिसे - केन्द्रक द्रव्य कहते हैं। इसका संगठन कोशिका द्रव्य के ग्राउण्ड प्लाज्म के संगठन के समान होता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इसी द्रव्य में केन्द्रक, जालिका केन्द्रक तथा न्यूक्लियोप्रोटीन कण तैरते रहते हैं।
3. केन्द्रक जालक (Nuclear Reticulum): केन्द्रक के केन्द्रक रस में महीन व्यावर्तित धागों का जाल होता है जिन्हें क्रोमोनिमेटा (chromonemata) तथा इस जालक को क्रोमेटिन जाल कहते हैं। क्रोमेटिन जाल गुणसूत्रों की अन्तरावस्था (interphase) को प्रदर्शित करता है जो कोशिका विभाजन के समय आकुंचित होकर स्पष्ट गुणसूत्रों के रूप में विन्यसित हो जाते हैं।
क्रोमेटिन दो प्रकार के होते हैं-
महीन धागों के समान क्रोमेटिन लिनन जो अल्प अभिरंजित होता है उसे यूक्रोमेटिन (euchromatin) कहते हैं।
कुछ विशेष स्थानों पर क्रोमेटिन संघनित होता है और क्षारीय रंजकों द्वारा गहरा अभिरंजित होता है। इसे हेटेरोक्रोमेटिन (heterochromatin) कहते हैं। यह क्रोमेटिन के वे क्षेत्र होते हैं जो अन्तरावस्था में संघनित रहते हैं और यूक्रोमेटिन के समान अन्त्यावस्था (telophase) में खुलते नहीं।
यूक्रोमेटिन रंजकों के प्रति विभिन्न बन्धुतायें प्रदर्शित करता है। क्रोमेटिन का लिनन जोकि अल्प अभिरंजित धागों के रूप में होता है, एक्रोमेटिन (achromatin) का बना होता है (और अम्लीय रंजकों से अभिरंजित होता है) तथा लिनन पर उपस्थित गहरे अभिरंजित कण (क्रोमोमियर्स) बेसिक्रोमेटिन (bacichromatin) के बने होते हैं।
कुछ केन्द्रकों के विस्तृत क्षेत्र बेसिक फ्युशिन (basic fuschin) द्वारा गहरे अभिरंजित हो जाते हैं। इनको क्रोमोसेन्टर या कैरियोसोम (karyosomes) कहते हैं।
क्रोमोसेण्टर (Chromocentres): कुछ कोशिकाओं के अन्तरावस्था (interphase) में कुछ ऐसे विस्तृत क्षेत्र होते हैं जो शेष क्रोमेटिन की अपेक्षा अधिक गहरे अभिरंजित होते हैं। वास्तव में ये गहरे अभिरंजित क्षेत्र विषवर्णी क्षेत्र (heterochromatic) है जो अपकव संघनन की ओर उद्धत होते हैं। इन्हें क्रोमोसेण्टर कहा जाता है। केन्द्रक में एक या अनेक क्रोमोसेण्टर होते हैं। अतः क्रोमोसेण्टर केन्द्रक के कुछ या समस्त विषमवर्णी क्षेत्र को प्रदर्शित करता है। ड्रोसोफिला की लार ग्रन्थि की कोशिकाओं के केन्द्रकों में क्रोमोसेण्टर अधिक स्पष्ट होता है। क्रोमोसेण्टर्स तथा क्रोमोमीयर्स में अन्तर मुख्य रूप से इनके आकार एवं स्वभाव में होता है।
4. केन्द्रिका (Nucleolus): इसकी खोज फॉन्टाना (Fontana) ने 1781 में की थी। यह गोलाकार या अण्डाकार काय है जो प्रत्येक प्राणि कोशिका विभाजन की अन्तरावस्था में दिखाई देते हैं। यह पूर्वावस्था (prophase) में विलुप्त होकर अन्त्यावस्था (telophase) में पुन: दिखाई देते हैं। साधारणतया कोशिका में केन्द्रिका की संख्या गुणसूत्र समूहों की संख्या पर निर्भर करती है। अतः दैहिक कोशिकाओं में दो तथा गैमीट्स में केवल एक केन्द्रिका होती है किन्तु एम्फीबियन डिम्ब कोशिकाओं या • उसाइट्स में इनकी संख्या कई सौ तक होती है।
केन्द्रिका का आकार कोशिका की संश्लेषण क्रियाओं पर निर्भर करता है। प्रोटीन संश्लेषण के लिए सक्रिय कोशिकाओं में केन्द्रिका बड़े आकार की होती है।
यह समझा जाता है कि केन्द्रिका का गुणसूत्रों के क्रोमोसेण्टर से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है किन्तु ह्वाइट (White, 1954) के अनुसार क्रोमोसेण्टर तथा केन्द्रिका के बीच कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
संरचना (Structure) - केन्द्रिका में निम्नलिखित भाग होते हैं -
1. पार्स एमॉर्फस अथवा एमॉर्फस मैट्रिक्स (pars amorphous or amorphous
2. फाइब्रिलर जोन (Fibrillar Zone) - यह rRNA के फाइब्रिल एवं राइबोन्यूक्लिओ- प्रोटीन्स का बना होता है।
3. ग्रैन्यूलर जोन (Granular Zone) - यह राइबोन्यूक्लिओ-प्रोटीन कणिकाओं का बना होता है। ये कण राइबोसोम के पूरोवर्ती हैं।
4. पेरीन्यूक्लिअर क्रोमैटिन (Perinuclear Chromatin) - यह क्रोमैटिन कणिकाओं का बना होता है।
केन्द्रिका मुख्य रूप से RNA एवं प्रोटीन्स की बनी होती है। प्रोटीन्स एकमात्र रूप से फॉस्फोप्रोटीन्स होते हैं तथा RNA क्षार अनुक्रम एवं संगठन में राइबोसोमल RNA (r-RNA) के समान होता है। केन्द्रिका में DNA का भी एक वलय होता है जो केन्द्रिका से सम्बद्ध गुणसूत्रों के हेटेरोक्रोमेटिन क्षेत्रों को प्रदर्शित करता है। इसके अतिरिक्त अम्ल फॉस्फेज, न्यूक्लिओसाइड, फॉस्फोराइलेज तथा DNA संश्लेषी एन्जाइम भी मिलते हैं।
केन्द्रिका गुणसूत्रों के प्रत्येक अगुणित समूह के किसी एक गुणसूत्र से किसी निश्चित क्षेत्र में निर्मित होती है किन्तु अन्य गुणसूत्र भी इसके निर्माण में भाग लेते हैं। पश्चावस्था (anaphase) के अन्तिम समय में एक विशिष्ट आकार एवं घनत्व वाली कणिकायें झुण्ड में एकत्रित होकर गुणसूत्र समूह के किसी एक गुणसूत्र से जुड़ जाती हैं। बाद में परस्पर समेकित होकर प्रौढ़ केन्द्रिका बनाती है।
केन्द्रिका का पुनर्संरचना चक्र
(Reorganization Cycle of Nucleolus)
समसूत्री कोशिका विभाजन के समय केन्द्रिका लुप्त हो जाती है तथा टेलोफेज प्रावस्था में पुनः निर्मित हो जाती है।
अगुणित समुच्चय के एक या अधिक गुणसूत्रों द्वारा एक निश्चित क्षेत्र से कन्द्रिका बनती है। इस प्रकार के गुणसूत्रों को केन्द्रिक गुणसूत्र (nucleolar chromosome) कहते हैं। इन गुणसूत्रों के केन्द्रिका निर्माण में भाग लेने वाले भाग को केन्द्रिक क्षेत्र कहते हैं। केन्द्रिक क्षेत्र में 185 तथा 28S राइबोसोमल RNA के जीन होते हैं।
प्रोफेज प्रावस्था में केन्द्रिका का एमॉर्फस भाग लुप्त हो जाता है तथा क्रोमैटिन लूप का सगंत गुणसूत्र के केन्द्रिक जोन में विलय हो जाता है। टेलोफेज प्रावस्था में केन्द्रिका पुनः निम्न दो विधियों द्वारा निर्मित हो जाती है -
1. कुण्डलित हुआ क्रोमैटिन लूप केन्द्रिक संगठक से अकुंडलित हो जाता है तथा इसके चारों ओर फाइब्रिलर एवं ग्रैन्यूलर पदार्थ एकत्रित हो जाता है। ये पदार्थ इण्टरफेज केन्द्रक के क्रोमोसेन्टर द्वारा निर्मित होते हैं।
2. केन्द्रिका मैट्रिक्स तथा इसके क्षारीय प्रोटीन और RNA क्रोमोसेन्टर के अन्दर बनकर छोटी पेरीन्यूक्लिअर बॉडी में मुक्त हो जाते हैं। ये परस्पर मिलकर परिपक्व इण्टरफेज केन्द्रिका बनाते हैं।
केन्द्रिका के कार्य (Functions of Nucleolus) : केन्द्रिका के निम्नलिखित कार्य हैं -
1. राइबोन्यूक्लिक एसिड संश्लेषण (Ribonucleic Acid Synthesis) : राइबोसोमल राइबोन्यूक्लिक अम्ल (r - RNA) का संश्लेषण केन्द्रिका में होता है। केन्द्रिका से सम्बद्ध क्रोमेटिन में राइबोसोमल जीन या r - DNA होता है जो राइबोसोमल RNA कोडित करता है। राइबोसोमल RNA यूकेरियोटिक कोशिकाओं के बड़े व छोटे सबयूनिटों में 285 व 18S RNA के रूप में संश्लेषित होता है।
2. राइबोसोम का जीवात् जनन (Biogenesis of Ribosomes) : दो प्रकार के r- RNA केन्द्रिका से संश्लेषित होकर प्रोटीन से सम्बद्ध हो जाते हैं और फिर ये केन्द्रिका से कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में स्थानान्तरित हो जाते हैं। राइबोन्यूक्लिओप्रोटीन अणु राइबोसोम एककों के पूर्वोवर्ती हैं. और कणिकाओं के रूप में केन्द्रिका में दिखाई देते हैं। ये पूर्वोवर्ती केन्द्रक से कोशिकाद्रव्य में आकर परस्पर जुड़ जाते हैं और राइबोसोम्स बनाते हैं।
क्रोमेटिन → तन्तुक → कणिकाएँ → राइबोसोम यूनिट→ राइबोसोम
अतः केन्द्रिका अप्रत्यक्ष रूप से प्रोटीन संश्लेषण (protein synthesis) एवं केन्द्रक विभाजन के लिए महत्वपूर्ण होती है। केन्द्रिका के क्षतिग्रस्त होने पर कुछ क्षणों बाद प्रोटीन संश्लेषण रुक जाता है तथा कोशिका में विभाजन नहीं होता है।
केन्द्रक के कार्य (Functions of Nucleus): केन्द्रक कोशिका की क्रियाओं का नियमन करता है। यह कोशिका की सभी उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण करता है। यह माता-पिता से सन्तान में आनुवंशिक लक्षणों (hereditary characters) की वंशागति का नियमन करता है। केन्द्रक विभिन्न लक्षणों के प्रकट होने का नियन्त्रण करता है।
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- प्रश्न- कोशा कला की सूक्ष्म संरचना जानने के लिए सिंगर और निकोल्सन की तरल मोजैक विचारधारा का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित वैज्ञानिकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) एन्टोनी वान ल्यूवेन हॉक (ii) श्लीडेन तथा श्वान्स
- प्रश्न- अन्तरकोशिकीय संचार या कोशिका कोशिका अन्तर्क्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कोशिका-एडहेसन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) माइक्रोट्यूब्ल्स (ii) माइक्रोफिलामेन्टस (iii) इन्टरमीडिएट फिलामेन्ट
- प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना व कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की संरचना तथा कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राइबोसोम की संरचना एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परऑक्सीसोम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वेंकटरमन रामाकृष्णन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बाह्य प्रोटीन और समाकल प्रोटीन कोशिका कला की पारगम्यता को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
- प्रश्न- हरितलवक और माइटोकॉण्ड्रिया में मिलने वाले समान लक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परॉक्सीसोम किन कोशिकांगों के साथ मिलकर प्रकाशीय श्वसन (फोटोरेस्पिरेशन) की क्रिया सम्पन्न करता है? प्रकाशीय श्वसन के जैविक कार्यों की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रक की संरचना का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उपयुक्त आरेखों के साथ गुणसूत्र आकारिकी व परासंरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- “गुणसूत्रों की विशेष किस्में” विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं? डी.एन.ए. की संरचना तथा प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वाट्सन तथा क्रिक के द्वारा प्रस्तुत डी. एन. ए. की संरचना का वर्णन कीजिए तथा डी. एन. ए. के विभिन्न प्रकार बताइए।
- प्रश्न- राइबोन्यूक्लिक अम्लों की रचना का वर्णन कीजिए तथा इसके जैविक एवं जैव-रासायनिक महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मेसेल्सन एवं स्टेहल के उस प्रयोग का वर्णन कीजिए जो अर्द्ध-संरक्षी डी. एन. ए. पुनरावृत्ति को प्रदर्शित करता है।
- प्रश्न- जेनेटिक कोड पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुणसूत्रों की रचना एवं प्रकार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यूक्लिओसोम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सेण्ट्रोसोम की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- क्रोमेटिन के प्रकारों को बताते हुए हेटेरोक्रोमेटिन को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किसी एक प्रायोगिक साक्ष्य द्वारा सिद्ध कीजिये कि डी.एन.ए. ही आनुवांशिक तत्व है।
- प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- B गुणसूत्र का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डी.एन.ए. और आर.एन.ए. में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- वाटसन एण्ड क्रिक पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- DNA की पुनरावृत्ति में सहायक एन्जाइमों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- समसूत्री कोशिका विभाजन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए तथा समसूत्री के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- लिंग निर्धारण में प्राकृतिक कारकों के प्रभाव का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- समप्रभाविता की वंशागति को समझाइए।
- प्रश्न- “समलक्षणी जीवों की जीनी संरचना भिन्न हो सकती है। यह कथन सही है अथवा गलत? क्यों?
- प्रश्न- ग्रीगर जॉन मेण्डल के योगदान को रेखांकित कीजिए।
- प्रश्न- कौन-सा कोशिका विभाजन गैमीट पैदा करता है?
- प्रश्न- स्यूडोडोमिनेंस पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- टेस्ट क्रॉस एवं बैक क्रॉस में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- टेस्ट क्रॉस तथा बैक क्रॉस को समझाइए।
- प्रश्न- मानव में बार बॉडी के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- लिंग प्रभावित वंशागति एवं लिंग सीमित वंशागति में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- लिंग सहलग्न, लिंग प्रभावित और लिंग सीमाबद्धित लक्षणों के बीच सोदाहरण विभेदकीजिए।
- प्रश्न- मेरी एफ. लिओन की परिकल्पना समझाइए।
- प्रश्न- कारण स्पष्ट कीजिए कि नर मधुमक्खी में शुक्राणुओं का निर्माण समसूत्री विभाजन द्वारा क्यों होता है?
- प्रश्न- ZW टाइप लिंग निर्धारण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पक्षियों में लिंग निर्धारण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्तनधारी मादा की शुरूआती अवस्था में कौन-सा X क्रोमोसोम हेट्रोक्रोमेटाइज हो जाता है, माता का या पिता का?
- प्रश्न- मल्टीपिल ऐलीलिज्म पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- Rh-तत्व क्या है? इसके महत्व एवं वंशागति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जीन की अन्योन्य क्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों की सहायता से जीन की अन्योन्य क्रिया की विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- जिनोम को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- 'गृह व्यवस्थापक जीन' या 'रचनात्मक जीन' के बारे में बताइये।
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- प्रश्न- पूरक जीन क्रिया को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेट्रोक्रोमेटिन और उसके लक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्रासिंग ओवर उद्विकास की प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लिंकेज ग्रुप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामान्य मानव कैरियोटाइप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुणसूत्रीय विपथन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- असुगुणिता किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की असुगुणिताओं का वर्णन कीजिए तथा इनकी उत्पत्ति के स्रोत बताइए।
- प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति से आप क्या समझते हैं? मनुष्य या ड्रोसोफिला के सन्दर्भ में इस परिघटना का उदाहरणों सहित विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम कार्यिकी अथवा गुणसूत्र के असामान्य स्थिति का परिणाम है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मंगोलिज्म या डाउन सिन्ड्रोम क्या है?
- प्रश्न- टर्नर सिन्ड्रोम उत्पन्न होने के कारण एवं उनके लक्षण लिखिए।
- प्रश्न- समक्षार उत्परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अनुप्रस्थ विस्थापन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पोजीशन एफेक्ट क्या है? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लिंग सहलग्नता प्रक्रिया को समसूत्री नर व समसूत्री मादा में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वर्णान्ध व्यक्ति रेलवे ड्राइवर क्यों नहीं नियुक्त किये जाते हैं?
- प्रश्न- मानव वंशागति के अध्ययन में क्या मुख्य कठिनाइयाँ हैं?
- प्रश्न- संक्रामक जीनों से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- वंशावली विश्लेषण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति के प्रारूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण, स्वभाव, आवास तथा जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- एण्टअमीबा हिस्टोलायटिका की संरचना, जीवन-चक्र, रोगजन्यता एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोग क्या है? यह कैसे होता है? इसके संचरण एवं रोगजनन को समझाइए। इस रोग के नियंत्रण के उपाय बताइए।
- प्रश्न- फाइलेरिया क्या है? इसके रोगजनकता एवं लक्षणों तथा निदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिआर्डिया के प्रजनन एवं संक्रमित रोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिआर्डिया में प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जिआर्डिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।